पत़झड़
तेज हवाओं के साथ झड़ने वाले पत्ते सर्दी की विदाई के साथ गर्मी के बढ़ने का संकेत दे रहे हैं । सूने पड़े उदास पेड़ों को देखकर कोई भी आसानी से अंदाजा लगा सकता है कि निशानी पत़झड़ की है । पत़झड के आते ही पेड़ों से फूल नदारत हो जाते हैं और हरे-भरे पत्ते टहनियों से अलग होकर जमीन की ओर अपने आखिरी पड़ाव की तरफ बढ़ चलते हैं ।
हर वक्त गुलजार रहने वाले पेड़ों पर विरानी छा जाती है । गर्मी की दस्तक के साथ ही सर्दी अलविदा कह रही है । पेड़ों में पतझड़ का दौर शुरू हो रहा है । इसके बाद नई कौपलें फूटने का दौर शुरू होगा, लेकिन कुदरत के कुछ अपने भी करिश्में हैं ।
एक पेड़ पर एक साथ मौसम के दो रंग दिख रहे हैं । पेड़ के एक हिस्से पर कई कौपलें फूटकर नए पत्ते रहे हैं तो दूसरी तरफ लाल सूर्ख फूल पककर वसंत का स्वागत कर रहे हैं । पतझड़ ने छीन लिए पेड़ों से पत्ते, परिंदों से बसेरे, पथिकों की छाया, मायूसी बिखेर दी बगिया में, जब आया वसंत तो कोंपलें फूटीं, कोमल हरी पत्तियों ने ढक लिया पेड़ों को, फूल मुस्करा उठे डालियों पर जिससे छाईं खु”िायां और फिर खिली उम्मीदें ।
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