Thursday, September 15, 2016

चिकनगुनिया - कारण एवं निवारण

चिकनगुनिया - कारण एवं निवारण



चिकनगुनिया एक वायरल बुखार है। एडीज एजिप्टी नाम के मच्छर, जिसको पीले बुखार का मच्छर भी कहते हैं, के काटने से ये वायरस हमारे शरीर में घुस जाता है। चिकनगुनिया बीमारी सीधे एक मनुष्य से दुसरे मनुष्य में नहीं फैलती लेकिन एक बीमार व्यक्ति को एडीज मच्छर के काटने के बाद फिर स्वस्थ व्यक्ति को काटने से फैलती है। जब चिकनगुनिया का वायरस मनुष्यों के शरीर में प्रवेश करता है, तो मनुष्य बुखार, खांसी, जुकाम, बदन में दर्द और जोड़ों में दर्द से पीड़ित हो जाता है। यह वायरस उसी प्रकार की बीमारी पैदा करता है, जिस प्रकार की स्थिति डेंगू रोग में होती है। वैसे मच्छर देखने में छोटा लगता है, लेकिन इसके काटने से गंभीर और खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं। हालाँकि  चिकनगुनिया बुखार जानलेवा नहीं होता है। अभी कुछ समय पहले एक और प्रजाति के मच्छर से ये बुखार होने लगा है और सामान्यतः ये मच्छर दिन में ही काटता है इसलिए दिन में काटने वाले मच्छर से बचकर रहना चाहिए।


चिकनगुनिया वायरस जनित बीमारी है और ये इंफेक्टेड एडीज मच्छरों के काटने से फैलता है. ऐसे में सबसे जरूरी है कि मच्छरों के काटने से बचकर रहें. अपने आस-पास सफाई रखें. पूरे कपड़े पहनें और सतर्क रहें चिकनगुनिया के शुरुआती लक्षणों में तेज बुखार आना चिकनगुनिया में बुखार 102 डिग्री सेल्सियस से लेकर 104 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. बुखार हफ्ते भर या दस दिनों तक भी बना रह सकता है.  

जोड़ों में तेज दर्द होना, इस बीमारी का एक प्रमुख लक्षण है. जोड़ों में तेज दर्द होता है जिसकी वजह से हाथ-पैर का मूवमेंट करने में भी तकलीफ होती है, ये दर्द काफी दिनों तक बना रहता है. कुछ लोगों को जोड़ों में दर्द के साथ ही सूजन की शिकायत भी हो जाती है.   कुछ मरीजों के  शरीर पर चकत्ते या रैशेज जाते हैं लेकिन कुछ लोगों में ऐसे लक्षण भी नजर आते हैं. ये चकत्ते चेहरे पर, हथेली पर और जांघों पर नजर आते हैं, तेज सिर दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द, चक्कर आना और उल्टी महसूस होना भी इस बीमारी के सामान्य लक्षण हैं. अगर ये लक्षण नजर रहे हैं तो सबसे पहले किसी अच्छे लैब से ब्लड टेस्ट कराएं और सही जगह रिपोर्ट चेक कराएं

चिकनगुनिया की कोई वि दवाई उपलब्ध नहीं है. ऐसे में डॉक्टर की दी हुई दवा ही लें. खुद से इलाज करने से बचें और कोई भी दवा खाएं. इस वायरस के लिए कोई वैक्सीन भी उपलब्ध नहीं है. घर पर रहें और जितना ज्यादा हो सके आराम करें. इस दौरान आराम करना सबसे ज्यादा जरूरी है. चिकनगुनिया में अक्सर लोगों को डी-हाइड्रेशन की शिकायत हो जाती है. ऐसे में ज्यादा से ज्यादा लिक्विड लें. लिक्विड डाइट लेना भी फायदेमंद रहेगाअगर आप किसी दूसरी बीमारी के लिए भी दवा ले रहे हैं तो अपने डॉक्टर को उसके बारे में जरूर बताएं. एक साथ दो तरह की दवाइयां लेना खतरनाक भी हो सकता है.  

उन चीजों को ज्यादा से ज्यादा लें जिनसे विटामिन सी मिले. विटामिन सी इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने का काम करता हैबहुत अधिक ऑयली और स्पाइसी खाने से परहेज करें. . नारियल पानी और सब्जिपयों का सूप जरूर लें. इस दौरान शरीर बहुत कमजोर हो जाता है, ऐसे में ये लिक्विड डाइट एनर्जी देने का काम करती है. आइस पैक को तौलिए में लपेटकर जोड़ों पर रखें और हल्के हाथों से दबाएं. इससे दर्द में फायदा होगा. यूं तो सही देखरेख के साथ घर पर रहते हुए भी इस बीमारी से ठीक हुआ जा सकता है लेकिन बीमारी के दौरान डॉक्टर के संपर्क में जरूर रहें. अगर लगे की स्थिति संभलने के बजाय बिगड़ती ही जा रही है तो देर बिल्कुल करें.
चिकुनगुनिया एक तरह का वायरल बुखार है जो कि मच्छरों के कारण फैलता है। चिकुनगुनिया अल्फावायरस के कारण होता है जो मच्छरों के काटने के दौरान मनुष्यों के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।


चिकुनगुनिया के उपचार के लिए बहुत से घरेलू नुस्खे हैं जिन्हें अपनाकर चिकुनगुनिया से खुद को बचाया जा सकता है।
पपीते की पत्ती -पपीते की पत्ती केवल डेंगू बल्कि चिकुनगुनिया में भी उतनी ही प्रभावी है। बुखार में शरीर के प्लेटलेट्स तेजी से गिरते हैं, जिन्हें पपीते की पत्तियां तेजी से बढ़ाती हैं। मात्र तीन घंटे में पपीते की पत्तियां शरीर में रक्त के प्लेटलेट्स को बढ़ा देती हैं। उपचार के लिए पपीते की पत्तियों से डंठल को अलग करें और केवल पत्ती को पीसकर उसका जूस निकाल लें। दो चम्मच जूस दिन में तीन बार लें।

तुलसी और अजवायन - तुलसी और अजवायन भी चिकुनगुनिया के उपचार के लिए बेहद अच्छी घरेलू औषधि हैं। उपचार के लिए अजवायन, किशमिश, तुलसी और नीम की सूखी पत्तियां लेकर एक गिलास पानी में उबाल लें। इस पेय को बिना छानें दिन में तीन बार पीएं।
लहसुन और सजवायन की फली - लहसुन और सजवायन की फली चिकुनगुनिया के इलाज के लिए बहुत बढ़िया है। चिकुनगुनिया में जोड़ों में काफी दर्द होता है, ऐसे में शरीर की मालिश किया जाना बेहद जरूरी है। इसके लिए किसी भी तेल में लहसुन और सजवायन की फली मिलाकर तेल गरम करें और इस तेल से रोगी की मालिश करें।


लौंग - दर्द वाले जोड़ों पर लहसुन को पीसकर उसमें लौंग का तेल मिलाकर, कपड़े की सहायता से जोड़ों पर बांध दें। इससे भी चिकुनगुनिया के मरीजों को जोड़ों के दर्द से आराम मिलेगा, और शरीर का तापमान भी नियंत्रित होगा।
एप्सम साल्ट - एप्सम साल्ट की कुछ मात्रा गरम पानी में डालकर उस पानी से नहाएं। इस पानी में नीम की पत्तियां भी मिलाएं। ऐसा करने से भी दर्द से राहत मिलेगी और तापमान नियंत्रित होगा।
अंगूर - अंगूर को गाय के गुनगुने दूध के साथ लेने पर चिकुनगुनिया के वायरस मरते हैं लेकिन ध्यान रहे अंगूर बीजरहित हों।


गाजर - कच्ची गाजर खाना भी चिकुनगुनिया के उपचार में बेहद फायदेमंद है। यह रोगी की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है साथ ही जोड़ों के दर्द से भी राहत देती है।
चिकनगुनिया का मच्छर दिन में काटता है आमतौर पर चिकनगुनिया का मच्छर दिन में काटता है इसलिए दिन में भी मच्छर कॉयल जलाकर रखें। सफाई रखें अपने घर के अंदर और आस-पास हमेशा सफाई रखें। पानी स्टोर ना होने दें घर में पानी एकत्रित होने ही ना दें। कूलर का पानी चेंज करें कूलर के पानी को रोज बदलिये।


सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग कीजिये। अपने आप को कवर रखें फूल बांह वाले कपड़े पहनिये और हमेशा अपने आप को ढ़ककर घर से निकलें। अपने डॉक्टर खुद ना बनें लक्षणों के आधार पर डॉक्टर से सलाह लेकर ही दवा लें, अपने डॉक्टर खुद ना बनें। बाहर खाना ना खायें बाहर का खुला खाना या पानी पीने से बचें, कोशिश करें कि घर पर ही खायें। खूब पानी पीजिये खूब पानी पीजिये, जिससे आपका इम्यून पॉवर मजबूत रहे। खिड़की-दरवाजों को बंद रखें शाम होते ही खिड़की-दरवाजों को बंद रखें, ताकि मच्छर घर में प्रवेश ना कर पायें।


चिकनगुनिया बुखार सबसे ज्यादा बुजुर्गों को ही अपनी शिकार बनाता है. चिकनगुनिया बुखार की वजह से मरीज का ब्लड प्रेशर काफी तेजी से नीचे गिरने लगता है. इसे नीचे गिरने से रोक पाना काफी मुश्किल होता है. बुखार में शरीर कमजोर हो जाता है और शरीर में पानी की कमी भी होने लगती है. चिकनगुनिया बुखार सबसे पहले किडनी, सांस लेने में मदद करने वाले अंगों और फेफड़ों पर हमला करता है. ये अंग काम करना बंद कर देते हैं और मरीज की मौत हो जाती है. बुजुर्ग और बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है इसलिए इनको सबसे ज्यादा खतरा रहता है.
चिकनगुनिया डेंगू की तरह जानलेवा नहीं है लेकिन शरीर तोड़कर रख देता है. चिकनगुनिया में जोड़ों में भयानक दर्द होता है. दर्द इतना ज्यादा होता है कि चलना फिरना मुश्किल हो जाता है. शरीर में खुजली होती है और लाल चकत्ते पड़ जाते हैं. सिर दर्द और बुखार के साथ ये बीमारी एक हफ्ते से ज्यादा समय तक आपको परेशान कर सकती है


तरल पदार्थों जैसे कुनकुना पानी, सूप और शोरबा को अधिक मात्रा में लेने से वायरस को तेजी से शरीर से बाहर निकालने में सहायता होती है। संतरा, आँवला, मौसंबी, शिमला मिर्च, ब्रोकोली, अनानास, पत्तागोभी, पपीता और अमरुद विटामिन सी देते हैं, जो आक्रमणकारी वायरस और बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है. विटामिन से समृद्ध आहार जैसे पीले और नारंगी रंग के फल सब्जियाँ प्राकृतिक रूप से संक्रमण विरोधी कोशिकाओं के निर्माण में वृद्धि करते हैं। मूली खाने से बलगम पतला होता है, नाक के भीतरी छिद्र (साइनस) साफ हो जाते हैं और बलगम से होने वाले सिरदर्द में राहत मिलती है। ओमेगा 3 फैटी एसिड्स के अच्छे स्रोत जैसे वसायुक्त मछलियाँ, बादाम, अखरोट, और अलसी सूजन को कम करते हैं। गाय के दूध में किशमिश मिलाकर लेने से चिकनगुनिया के कई लक्षणों से राहत मिलती है।
कच्ची गाजर खाना एक शानदार दवा का काम करता है क्योंकि यह चिकनगुनिया के लक्षणों के विरोध में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है।
तेज बुखार और जोड़ों के तीव्र दर्द की दशा में आराम की सलाह दी जाती है। हलके व्यायाम जैसे कि स्ट्रेचिंग सुबह के समय होने वाली जकड़न और दर्द को दूर करते हैं। योग करने से आपके प्रतिरोधक तंत्र में लाभ होता है और जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। यह आवश्यक है कि आसान और कम जोर डालने वाले व्यायाम किये जाएँ. वैसे शवासन और योग श्वसन एक आदर्श श्वास प्रक्रिया है।

आमतौर पर ये लक्षण 5 से 7 दिन तक रहते हैं। लेकिन रोगी को जोड़ों में दर्द लंबे समय तक रहता है। इस रोग से कुछ लोग ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं जैसे कि नवजात शिशु, बूढ़े लोग जिनकी उम्र 65 साल या अधिक है और ऐसे लोग जिनको डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या दिल की बीमारी हो, उन लोगों के लिए चिकनगुनिया की परेशानी बढ़ भी सकती है। इस प्रकार के लोगों को चिकनगुनिया के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और पूरी सावधानी से उपचार करना चाहिए।
जीनोमिक टेस्ट पीसीआर विधि -चिकनगुनिया बुखार के लक्षण दिखने के एक सप्ताह के अन्दर टेस्ट कराया जाये तो च्ब्त् विधि से जीनोमिक टेस्ट करा सकते हैं। ये टेस्ट चिकनगुनिया के लिए पक्की जानकारी दे सकता है। लेकिन जीनोमिक टेस्ट बहुत कम लैब्स में हो पाता है और बाकी के मुकाबले इसकी कीमत भी ज्यादा होती है। 

एंटीबाडीज की जांच -चिकनगुनिया बुखार होने पर हमारे शरीर में इस वायरस से लड़ने के लिए एंटीबाडीज बनने लगती हैं। चिकनगुनिया बीमारी के शुरू होने के लगभग 7-8 दिन बाद शरीर में प्हड एंटीबाडीज बनने लगती हैं और उसके 4-5 दिन बाद प्ळळ एंटीबाडीज बनने लगती हैं। इसीलिए टेस्ट चिकनगुनिया के लक्षण दिखने के कितने दिन बाद किया जा रहा है ये समझना जरुरी है और उसी के अनुसार इन टेस्ट्स के परिणाम को समझना चाहिए  
इम्युनोलॉजी  या इम्यूनो एस्से के द्वारा टेस्ट करना आसान, सस्ता और कम समय लेने वाला तरीका है। लेकिन इनको समझने के लिए अनुभवी लोग चाहिए जो टेस्ट से सही जांच की रिपोर्ट बना सके, क्यूंकि इस टेस्ट से एंटीबाडीज की जांच पूरी तरह से नहीं की जा सकती है और इसके लिए विशेष मशीन और अनुभवी लोग चाहिए
खून में सफेद रक्त कण  की कमी आने पर टेस्ट किया जाता है, जिससे चिकनगुनिया के होने की आशंका का पता चल जाता है। शरीर में चिकनगुनिया वायरस आने पर हमारे खून का सामान्य मिक्स बदलने लगता है इसलिए चिकनगुनिया की शुरूआती जांच के लिए इस टेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है

चिकनगुनिया की जाँच कराने से पहले अपने डॉक्टर की राय अवश्य लें।