प्लेटलेट्स और स्वास्थ्य
एक
स्वस्थ व्यक्ति के शरीर
में 5 से 6 लीटर
खून होता है।
खून में तरल
पदार्थ, लाल व
सफेद रक्त कोशिकाओं
के अलावा कई
अन्य चीजें भी
होती हैं, जिनमें
से एक प्लेटलेट्स
भी हैं। हमारे
खून का एक
बड़ा हिस्सा इनका
होता है। इनका
आकार 0.002 माइक्रोमीटर
से 0.004 माइक्रोमीटर तक होता
है। माइक्रोस्कोप से
देखने पर यह
अंडाकार आकृति के दिखाई
देते हैं। एक
स्वस्थ व्यक्ति के एक
घन मिलीलीटर खून
में प्लेटलेट्स की
संख्या डेढ़ लाख
से चार लाख
तक होती है।
प्लेटलेट्स का मुख्य
कार्य शरीर में
रक्तस्राव होने से
रोकना है। प्लेटलेट्स
कॉलेजन नामक द्रव
से मिल कर
वहां एक अस्थाई
दीवार का निर्माण
करते हैं और
रक्त वाहिका की
अधिक क्षति होने
से रोकते हैं।
प्लेटलेट्स अस्थि-मज्जा में
मौजूद कोशिकाओं के
काफी छोटे कण
होते हैं। यह
थ्रोम्बोपीटिन हार्मोन के कारण
विभाजित होकर खून
में मिल जाते
हैं। 8 से 10 दिन में
संचारित होकर खुद
ही नष्ट भी
हो जाते हैं।
शरीर में थ्रोम्बोपीटिन
का काम प्लेटलेट्स
की संख्या सामान्य
बनाए रखना होता
है।
शरीर
में प्लेटलेट्स की
मात्रा अधिक होने
की स्थिति को
थ्रोम्बोसाइटोसिस कहते हैं।
ये दो प्रकार
के होते हैं।
अस्थि-मज्जा में
असामान्य कोशिकाओं के होने
के कारण जब
प्लेटलेट्स बढ़ने लगते
हैं तो उसे
प्राइमरी थ्रोम्बोसाइटोसिस कहते हैं।
वहीं जब किसी
बीमारी जैसे एनीमिया,
कैंसर, सूजन के
चलते या किसी
अन्य प्रकार के
संक्रमण के कारण
प्लेटलेट्स की संख्या
बढ़ती है तो
उसे सेकेंडरी थ्रोम्बोसाइटोसिस
कहते हैं। शरीर
में जरूरत से
ज्यादा प्लेटलेट्स होना शरीर
के लिए कई
गंभीर खतरे उत्पन्न
करता है।
इससे
खून का थक्का
जमना शुरू हो
जाता है, जिससे
दिल के दौरे,
किडनी फेल व
लकवा आदि की
आशंका बढ़ जाती
है।जब शरीर में
प्लेटलेट्स की संख्या
कम हो जाती
है तो उस
स्थिति को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया
कहते हैं। अगर
इनकी संख्या 30 हजार
से कम हो
जाए तो शरीर
में रक्त स्राव
होने की आशंका
बढ़ जाती है।
बहते-बहते यह
खून नाक, कान,
मल इत्यादि से
बाहर आने लगता
है।
यदि यह
स्राव अंदर ही
होता रहता है
तो शरीर के
विभिन्न अंगों के फेल
होने की आशंका
भी बढ़ जाती
है। कुछ खास
तरह की दवाओं,
आनुवंशिक रोगों, कुछ खास
तरह के कैंसर,
कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट, अधिक एल्कोहल
के सेवन व
कुछ खास तरह
के बुखार जैसे
डेंगू, मलेरिया व चिकनगुनिया
के होने पर
भी ब्लड प्लेटलेट्स
की संख्या कम
हो जाती है।
डॉक्टरों के अनुसार
जब प्लेटलेट्स की
संख्या 10 हजार से
कम रह जाती
है, तब इन्हें
चढ़ाए जाने की
जरूरत होती है।
गिलोय,
सुदर्शन चूर्ण एवं पपीते
के पत्तों जैसी
औषधियों को प्लेटलेट्स
बढ़ाने में लाभकारी
मानता है। द्रव्य
पदार्थ जैसे बकरी
का दूध व
नारियल पानी का
सेवन अच्छा रहता
है। रोग प्रतिरोधक
क्षमता तो बढ़ती
है, बकरी का
दूध आसानी से
पचता है, इसलिए
भी इसे लेने
की सलाह दी
जाती है। प्लेटलेट्स कम होने
पर दो
चुटकी गिलोय के
सत्व को एक
चम्मच शहद के
साथ दिन में
दो बार लें
या फिर गिलोय
की डंडी को
रात भर पानी
में भिगो कर
सुबह उसका छना
हुआ पानी पी
लें।
सुदर्शन
चूर्ण को हर
रोज दिन में
दो बार आधा-आधा चम्मच
पानी के साथ
लें। पानी
की कमी होने
व रोग प्रतिरोधक
क्षमता कम होने
पर रोगी को पपीते
के पत्तों का
रस पीने को
दें। व्यकि के
शरीर में 24 से
48 घंटे के बीच
रक्त में प्लेटलेट्स
दोबारा बन जाते
हैं। विटामिन के
और कैल्शियम शरीर
में प्लेटलेट्स का
तेजी से निर्माण
करने में मदद
करते हैं। रक्त
में प्लेटलेट्स की
कमी रक्तस्त्राव का
कारण बनती है
तो प्लेटलेट्स की
अधिकता से थ्रोम्बोसाइटोसिस
हो सकता है,
जो रक्त को
गाढ़ा बना देता
है। लाल फल
और सब्जियां - टमाटर,
प्लम, तरबूज, चेरी
आदि फल और
सब्जियों में विटामिन
और मिनिरल्स के
साथ-साथ एंटी
ऑक्सिडेंट्स अच्छी मात्रा में
होते हैं। ये
शरीर में ब्लड
प्लेटलेट्स बढ़ाने में मदद
करते हैं। चुकंदर
और गाजर - चुकंदर
के रस में
अच्छी मात्रा में
एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं
जो शरीर की
प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाते हैं।
अगर दो से
तीन चम्मच चुकंदर
के रस को
एक ग्लास गाजर
के रस में
मिलाकर पिएं तो
ब्लड प्लेटलेट्स तेजी
से बढ़ती हैं।
पपीता और पपीते पत्ते का
रस - शरीर की
प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने और
ब्लड प्लेट्स की
रिकवरी के लिए
पपीता या इसके
पत्तों का जूस
भी बहुत फायदेमंद
है। आप चाहें
तो पपीते की
पत्तियों को चाय
की तरह भी
पानी में उबालकर
पी सकते हैं,
इसका स्वाद ग्रीन
टी की तरह
लगेगा। नारियल पानी - नारियल
पानी में इलेक्ट्रोलाइट्स
अच्छी मात्रा में
होते हैं। इसके
अलावा यह मिनिरल्स
का भी अच्छा
स्रोत है जो
शरीर में ब्लड
प्लेटलेट्स की कमी
को पूरा करने
में मदद करते
हैं। कद्दू का
रस - कद्दू के
आधे ग्लास जूस
में एक से
दो चम्मच शहद
डालकर दिन में
दो बार लेने
से भी खून
में प्लेटलेस्ट की
संख्या बढ़ती है।
गिलोय - गिलोय का जूस
खून में व्हाइट
ब्लड सेल्स बढ़ाने
में काफी मददगार
है। नियमित रूप
से इसके सेवन
से ब्लड प्लेट्स
बढ़ते हैं और
प्रतिरोधी क्षमता मजबूत होती
है। प्लेटलेट्स की
कमी को दूर
करने के लिए
आधा लीटर पानी
लें। इसमें 25 ग्राम
सौंफ डालें। 50 ग्राम
पपीते के पले
को पीसकर डालें।
आधा इंच मोटे
गिलोई के तने
को अंगुली के
बराबर काट कर
पानी में डाल
लें। इस पानी
को आग पर
उबालें। जब पानी
की एक चैथाई
मात्रा भाप बनकर
उड़ जाए तब
पानी को उतार
लें। ठंडा होने
पर इसे छानकर
पीएं। इसका स्वाद
थोड़ा कड़वा होगा।
इसके लिए शहद
की मात्रा डाल
सकते हैं।
शरीर
में प्लेटलेट्स की
संख्या कम होने
की स्थिति को
थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के नाम
से जाना जाता
है। एक स्वस्थ
व्यक्ति में सामान्य
प्लेटलेट काउंट ब्लड में
150 हजार से 450 हजार प्रति
माइक्रोलीटर होते है।
लेकिन जब यह
काउंट 150 हजार प्रति
माइक्रोलीटर से नीचे
चला जाये तो
इसे लो प्लेटलेट
माना जाता है।
कुछ खास तरह
की दवाओं, आनुवंशिक
रोगों, कुछ खास
तरह के कैंसर,
कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट, अधिक एल्कोहल
के सेवन व
कुछ खास तरह
के बुखार जैसे
डेंगू, मलेरिया व चिकनगुनिया
के होने पर
भी ब्लड प्लेटलेट्स
की संख्या कम
हो जाती है।
लेकिन घबराएं नहीं
क्योंकि कुछ आहारों
की मदद से
ब्लड प्लेटलेट्स को
प्राकृतिक रूप से
बढ़ाया जा सकता
है।
.चुकंदर
- चुकंदर का सेवन
प्लेटलेट को बढ़ाने
वाला एक लोकप्रिय
आहार है। प्राकृतिक
एंटीऑक्सीडेंट और हेमोस्टैटिक
गुणों से भरपूर
होने के कारण,
चुकंदर प्लेटलेट काउंट को
कुछ ही दिनों
बढ़ा देता है।
अगर दो से
तीन चम्मच चुकंदर
के रस को
एक गिलास गाजर
के रस में
मिलाकर पिया जाये
तो ब्लड प्लेटलेट्स
तेजी से बढ़ती
हैं। और इसमें
एंटीऑक्सीडेंट की मौजूदगी
के कारण यह
शरीर की प्रतिरोधी
क्षमता भी बढ़ाते
हैं।
.पपीता
- पपीता के फल
और पत्तियां दोनों
का ही इस्तेमाल
कुछ ही दिनों
के भीतर कम
प्लेटलेट को बढ़ाने
में मदद करते
है और पपीते
की पत्तियों को
चाय की तरह
भी पानी में
उबालकर पी सकते
हैं ।
.नारियल
पानी - शरीर में
ब्लड प्लेटलेट को
बढ़ाने में नारियल
का पानी भी
बहुत मददगार होता
है। नारियल पानी
में इलेक्ट्रोलाइट्स अच्छी
मात्रा में होते
हैं। इसके अलावा
यह मिनरल का
भी अच्छा स्रोत
है जो शरीर
में ब्लड प्लेटलेट्स
की कमी को
पूरा करने में
मदद करते हैं।
. आंवला
- प्लेटलेट को बढ़ाने
के लिए आंवला
लोकप्रिय आयुर्वेदिक उपचार है।
आंवला में मौजूद
भरपूर मात्रा में
विटामिन सी प्लेटलेट्स
के उत्पादन को
बढ़ाने और आपकी
प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा
देने में मदद
करता है। नियमित
रूप से सुबह
के समय खाली
पेट 3-4 आंवला खाये। यह
आप दो चम्मच
आंवले के जूस
में शहद मिलाकर
भी ले सकते
हैं।
. कद्दू-
कद्दू कम प्लेटलेट
कांउट में सुधार
करने वाला एक
और उपयोगी आहार
है। यह विटामिन
ए से समृद्ध
होने के कारण
प्लेटलेट के उचित
विकास का समर्थन
करने में मदद
करता है। यह
कोशिकाओं में उत्पादित
प्रोटीन को नियंत्रित
करता है, जो
प्लेटलेट के स्तर
को बढ़ाने के
लिए महत्वपूर्ण होता
है। कद्दू के
आधे गिलास जूस
में एक से
दो चम्मच शहद
डालकर दिन में
दो बार लेने
से भी ब्लड
में प्लेटलेस्ट की
संख्या बढ़ती है।
. गिलोय
- गिलोय का जूस
ब्लड में प्लेटलेट
को बढ़ाने में
काफी मददगार होता
है। डेंगू के
दौरान नियमित रूप
से इसके सेवन
से ब्लड प्लेट्स
बढ़ने लगती हैं
और आपकी प्रतिरोधी
क्षमता मजबूत होती है।
दो चुटकी गिलोय
के सत्व को
एक चम्मच शहद
के साथ दिन
में दो बार
लें या फिर
गिलोय की डंडी
को रात भर
पानी में भिगो
कर सुबह उसका
छना हुआ पानी
पी लें। इससे
ब्लड में प्लेटलेट
बढ़ने लगते हैं।
. पालक
- पालक विटामिन ‘के’ का
एक अच्छा स्रोत
है और अक्सर
कम प्लेटलेट विकार
के इलाज में
मदद करने के
लिए इसका प्रयोग
किया जाता है।
विटामिन ‘के’ सही
तरीके से होनी
वाली ब्लड क्लॉटिंग
के लिए आवश्यक
है। इस तरह
से यह बहुत
अधिक ब्लीडिंग के
खतरे को कम
करता है। दो
कप पानी में
4 से 5 ताजा पालक
के पत्तों को
डालकर कुछ मिनट
के लिए उबाल
लें। इसे ठंडा
होने के लिए
रख दें। फिर
इसमें आधा गिलास
टमाटर मिला दें।
इसे मिश्रण को
दिन में तीन
बार पीयें। पालक
का सेवन सूप,
सलाद, स्मूदी या
सब्जी के रूप
में भी कर
सकते हैं।
गेहू
का पौधा - नसों
के तनाव को
रोकने में सहायक
, प्लेटलेट्स वृधि में
भी सहायक है
।
निम्बू
एवं संतरा - विटामिन
सी की अधिकता
के कारण संतरा
एवं निम्बू पूरे
शरीर में ताजगी
बनाये रखता है।
ब्लड
के चार खास
घटक होते हैं,
लाल कोशिकाएँ, शवेत
कोशिकाएँ, प्लेटलेट्स और प्लाजमा
। इन चार
घटकों में से
पदार्थ या अंश
निकाले जाते हैं।
जैसे, लाल कोशिकाओं
में हीमोग्लोबिन नाम
का प्रोटीन होता
है। इंसानों या
जानवरों के हीमोग्लोबिन
से तैयार की
गयी चीजें, ऐसे
मरीजों के इलाज
में इस्तेमाल की
जाती हैं जिनके
शरीर में खून
की भारी कमी
है या जिनका
किसी वजह से
बहुत ज्यादा खून
बह गया है।
प्लाजमा
में 90 प्रतिशत पानी होता
है। इसमें बहुत
सारे हॉरमोन, खनिज
लवण, एन्जाइम और
खनिज और शर्करा
जैसे पोषक तत्त्व
होते हैं। प्लाजमा
में ऐसे तत्त्व
भी होते हैं
जो चोट से
रिसनेवाले खून को
जमा देते हैं,
ताकि ज्यादा खून
न बहे और
ये शरीर को
बीमारियों से लड़ने
की ताकत देते
हैं। प्लाजमा में
एलब्यूमिन जैसे कई
प्रोटीन भी होते
हैं। अगर एक
मरीज के शरीर
में किसी बीमारी
से लड़ने की
ताकत नहीं है,
तो डॉक्टर शायद
उसे गामा ग्लोब्यूलिन
के इंजेक्शन लेने
के लिए कह
सकता है। गामा
ग्लोब्यूलिन ऐसे लोगों
के प्लाजमा से
तैयार किया जाता
है, जिनमें बीमारी
से लड़ने की
शक्ति पहले से
मौजूद है। शवेत
रक्त कोशिकाओं से
इन्टरफेरॉन और इन्टरल्यूकिन
निकाले जाते हैं,
जो कुछ किस्म
के वाइरल इन्फेक्शन
और कैंसर के
इलाज में इस्तेमाल
किए जाते हैं।
प्लेटलेट्स को बढ़ाने
वाले पदार्थ- प्रोटीन,
अनार, विटामिन बी
से भरपूर खाद्य
पदार्थ, विटामिन सी से
भरपूर खाद्य-पदार्थ,
दूध, फोलेट
युक्त भोजन और
पपीता । डेंगू
, मलेरिया, टाइफाइड जैसे रोग
शरीर की रोग
प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर
कर देते हैं।
इनका असर रक्त
में प्लेटलेट्स की
संख्या पर भी
पड़ता है। एक
सीमा से अधिक
इनकी कमी होने
पर प्लेटलेट्स चढ़ाने
तक की नौबत
आ जाती है
।