जंगल
जलेबी इमली
भारत
में, जलेबी इमली
तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, पश्चिम
बंगाल, आंध्र प्रदेश , मध्यप्रदेश
और दिल्ली में
पायी जाती है
। इसे मीठी
इमली, थाई-मीठी
इमली, जंगल जलेबी,
बंदर फली आदि
नाम से भी
जानी जाती है
। जलेबी इमली
फरवरी के मध्य
से मई माह
तक पेड़ों पर
लगती है ।
अधिकांश जलेबी इमली के
पेड़ सड़कों के
किनारे, राजमार्ग पर और
छोटे गावों के
आसपास लगे दिख
जाऐंगें । जलेबी
इमली अपरिपक्व हरे
रंग की दिखती
है । पकने
के बाद फल
लाल और गुलाबी
हो जाते हैं
। फल के
अंदर का गूदा
या तो सफेद
या फिर लाल
गुलाबी हो जाता
है । इसके
अंदर काले रंग
के बीज निकलते
हैं जिन्हें खाते
समय बाहर निकाल
दिया जाता है
।
अगर इसके
पोषकमान को देखा
जाए तो इसमें 70 किलो कैलोरी
जिसमें 77.8 प्रतिशत जल, 3 प्रतिशत
प्रोटीन, 0.4 प्रतिशत वसा, 18.2 प्रतिशत
कार्बोहाइडेट, 1.2 प्रतिशत फाइबर, 0.6 प्रतिशत
राख, 13 मिलीग्राम कैल्शियम, 42 मिलीग्राम
फाॅस्फोरस, 0.5 मिलीग्राम लोह तत्व,
19 मिलीग्राम सोडियम, 222 मिलीग्राम पोटेशियम,
15 मिलीग्राम विटामिन ए, 24 मिलीग्राम
विटामिन बी 1, 10 मिलीग्राम विटामिन
बी 2, 6.60 मिलीग्राम नियासिन, 133 मिलीग्राम
विटामिन सी पाया
जाता है ।
जलेबी इमली से
स्वास्थ्य लाभ - स्वास्थ्य समस्याएं
जैसे ब्रांेकाइटिस, दस्त,
जिगर की समस्या,
तिल्ली से होने
वाली बिमारियों में
जलेबी इमली फल
तथा कसैली छाल
का काढ़ा अति
लाभदायक सिद्ध होता है
। जंगल जलेबी
इमली अन्य देशों
जैसे संयुक्त राज्य
अमेरिका वेनेजुएला, ब्राजील, पेरू,
गुयाना, कोलंबिया, मेक्सिको, जमैका,
डोमिनिकन गणराज्य, हैती, गुआम,
वर्जिन द्वीप समूह, डच
एंटिल्स, क्यूबा, प्यूर्टो रिको,
और फ्लोरिडा और
हवाई आदि में
भी पाई जाती
है और यह
एशिया में, यह
थाईलैंड, म्यांमार, मलेशिया, लाओस,
चीन, फिलीपींस, इंडोनेशिया
और भारत में इसके
पेड़ मिलते हैं
।